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EPF क्या है

दोस्तों आप लोगो ने EPF और ESIC  का नाम बहुत बार सूना होगा , EPF को लेकर कर्मचारियों में बहुत से भ्रम हैं , आज इस ब्लॉग के माध्यम से  EPF के बारे में सारे भ्रम क्लियर हो जायेंगे , EPF क्या है और ये कैसे काम करता है , इनके क्या लाभ है

इंप्लोयी प्रोविडेंट फंड (EPF) भारतीय कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है । यह भारतीय सरकार द्वारा संचालित योजना है जो 1952 में पारित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को पेंशन और बचत की योजनाओं के माध्यम से अपने भविष्य की सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना का प्रबंधन केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा किया जाता है।

इस योजन के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी नियोक्ता के यहाँ काम  करता है तो उसके मासिक वेतन/सैलरी  में से एक बहुत ही छोटा हिस्सा काट कर EPF में जमा किया जाता है , तथा जितनी राशि कर्मचारी का जमा होता है ,ठीक उतनी ही राशि नियोक्ता भी कर्मचारी के खाते/EPF में जमा करता है, इस तरह कर्मचारी के बचत का हिस्सा दुगुना हो जाता है , EPF जमा राशी पर सरकार अधिकतम ब्याज देती है , जो की अधिकांश मामलो में बैंक के व्याज दर से ज्यादा ही होता है , ये स्पष्ट कर दूँ की दोनों हिस्सा सरकार के पास जमा होता है और इसे जमा करने की जिम्मेवारी नियोक्ता की होती है

 

वैसे तो ये योजना कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित  करने के लिए है, की जब कर्मचारी ,सेवा निवृत हो जाये तो उसे जीवन भर एक   राशी पेंशन के रूप में मिलता रहे और वो बुढ़ापे में भी वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर रहे ,फिर भी इसे आर्थिक रूप से कर्मचारियों के सुबिधा के लिए  काफी लचीला बनाया गया है ,  कर्मचारी को किसी विशेष आवश्यकता पर जैसे,पुत्री की शादी , बीमारी ,या मकान  बनवाने इत्यादि के लिए   वो बीच में भी कुछ धन राशी एडवांस के रूप में निकाल सकता है ,या फिर कर्मचारी किसी कारण बस सेवा त्यगता है तो ,सेवा त्यागने के दो महीने बाद वो पूरा पैसा निकल सकता है,या फिर अगर कर्मचारी किसी दुसरे नियोक्ता के पास काम  करता है तो वो अपने  EPF के पैसे को  नए वाले में ट्रान्सफर करा सकता , EPF के नियम के मुताबिक कोई भी कर्मचारी जो EPF में अपना अंशदान  करता है और उसकी नौकरी को 10 साल पूरे हो चुके हैं, तो वो पेंशन पाने का अधिकारी हो जाता है. अगर नौकरी की कुल अवधि 10 साल से कम है तो पेंशन के लिए जमा रकम को बीच में कभी भी निकाला जा सकता है. जो कर्मचारी 10 साल या इससे ज्‍यादा समय की नौकरी की अवधि पूरी कर चुके हैं, उन्‍हें रिटायरमेंट के बाद यानी 58 की उम्र से EPF की तरफ से पेंशन दी जाती है.

EPFO

एक नियोक्ता को EPF में रजिस्टर होना होता है ,किसी नियोक्ता के पास २० कर्मचारी होने पर उसे EPF में रजिस्टर होना आवश्यक  हो जाता है , बाद में 01जनवरी २०२० से इसकी संख्या २० से  घटा कर १० कर दी गई ,बर्तमान समय में कर्मचारी के वेतन से काटी  जाने वाली राशी उसके मूल वेतन का १२ प्रतिसत(पी एफ फण्ड ) होता है ,नियोक्ता भी इसे दो हिस्सों में 8.३३ प्रतिसत(पेंशन फण्ड ) और 3.६७ प्रतिसत (पी एफ फण्ड ) जमा करता है , कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के अंशदान जमा करने के लिए नियोक्ता  को ECR(electronic challan cum return) के माध्यम से भुगतान करना होता है , इसे जमा या भुगतान करने की अंतिम  तिथि अगले  माह के १५ तारीख को होती है, उदाहरण के तौर पर अगर जनवरी माह का अंशदान १५ फ़रवरी तक जमा हो जाना चाहिए 

EPF ने अपने  पोर्टल पर  नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए अलग अलग लॉग इन की सुबिधा दी है , जहा से एक नियोक्ता अपने पोर्टल से  कर्मचारियों के अंशदान को जमा कर सकता है और कर्मचारियों पंजीकृत करने से लेकर उनका KYC कर सकता है , ठीक उसी प्रकार कमर्चारी अपने पोर्टल से अपने अंशदान का रिकॉर्ड देख सकता है तथा बिभिन्न सेवाओ का लाभ ले सकता है जैसे की , पी एफ निकालना , एडवांस निकलना ,एक खाते से दुसरे खाते में ट्रान्सफर करना ,और भी बहुत सी सुविधाएँ ,सरकार ने नियोक्ता और कर्मचारी को दी  है , EPF का सारा काम ऑनलाइन है , बहुत  कम मामलो में ही  EPF ऑफिस के चक्कर लगाने होते हैं 

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